शहर की नौकरी छोड़ गांव में लोगों को रोजगार दे रहा ये कपल | SV Study Alert

जानिए कैसे पंकज घाटगे और अमृता शिंदे ने अपनी शहरी नौकरियां छोड़कर एक आदिवासी गांव को सशक्त बनाने का सपना पूरा किया। उनके प्रयासों ने अवाटा गांव को एक मॉडल ग्रामीण विकास स्थल में बदल दिया, जिससे गांववालों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया।

शहर की नौकरी छोड़ गांव में लोगों को रोजगार दे रहा ये कपल | SV Study Alert

"शहर की चकाचौंध छोड़, ग्रामीण विकास की मिसाल बने पंकज और अमृता: जानें कैसे बदल दी आदिवासियों की जिंदगी"

Farmer Success Story

Success Story: नौकरी छोड़कर गांवों में संवार रहे लोगों का जीवन, रोजगार देने शहर छोड़ गाँव में बसा कपल | SV STUDY ALERT

 

आज की तेज़-तर्रार जिंदगी में जब अधिकांश लोग शहर की सुविधाओं और स्थिर नौकरियों का चुनाव करते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो न केवल अपनी खुद की पहचान बदलते हैं, बल्कि दूसरों की जिंदगी में भी बदलाव लाते हैं। पंकज घाटगे और अमृता शिंदे एक ऐसा ही प्रेरणादायक कपल है, जिन्होंने नासिक के पास अवाटा गांव में आदिवासियों को रोजगार देने का सपना साकार किया।

शुरुआत कैसे हुई?

पंकज घाटगे, जो पहले मुंबई की एक एडवरटाइजिंग कंपनी में काम करते थे, और उनकी पत्नी अमृता शिंदे, जो एक टीचर थीं, ने अपनी जिंदगी का रुख तब बदला जब उन्होंने एक यात्रा के दौरान अवाटा गांव में रोजगार की कमी देखी। यह अनुभव उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बना और यहीं से उनके नए सफर की शुरुआत हुई।

 

शहर की नौकरी छोड़कर गांव में नया सफर

पंकज घाटगे, जो पहले एक मुंबई की एडवरटाइजिंग कंपनी में काम करते थे, और अमृता शिंदे, जो टीचर थीं, ने एक यात्रा के दौरान नासिक के पास अवाटा गांव की यात्रा की। वहां उन्हें रोजगार की गंभीर कमी और गांव वालों के संघर्ष को देखकर यह महसूस हुआ कि उनके पास इसे बदलने का मौका है। इसके बाद उन्होंने एक नया कदम उठाते हुए शहर की सुविधा और नौकरी छोड़ दी और गांव के लोगों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 3 एकड़ जमीन खरीदी।

 

स्थानीय उत्पादों से शुरू हुआ बदलाव

पंकज और अमृता ने गांव वालों को साबुन, शहद, और मिट्टी के बर्तन बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। यह पहल न केवल आदिवासी लोगों को नई आजीविका प्रदान करने का एक तरीका था, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित किया। गांव में रोजगार के अवसर पैदा होने लगे, जिससे गांववासियों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ। उन्होंने धीरे-धीरे एक फार्महाउस बनवाया, जिसे गांव के ही लोगों ने तैयार किया, और यह जगह मुंबई और पुणे के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई।

लॉकडाउन के दौरान गांव में ठहरने का फैसला

लॉकडाउन के दौरान, पंकज और अमृता ने गांव में ही ठहरने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने सपने का घर, जो चार कमरों वाला फार्महाउस था, धीरे-धीरे हरियाली से घिरा लिया। यह स्थान अब न केवल उनके दोस्तों के लिए, बल्कि शहर के लोगों के लिए भी एक पसंदीदा डेस्टिनेशन बन गया। यहां आने वाले पर्यटकों को सुकून और प्रकृति के बीच समय बिताने का अनुभव मिलता है, जो उन्हें शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से कुछ क्षण दूर ले जाता है।

स्थिर रोजगार का साधन

अवाटा फार्म ने गांव के लोगों के लिए स्थिर रोजगार के साथ-साथ आय के नए साधन उपलब्ध कराए हैं। इस फार्महाउस में काम करने वाले आठ लोग और अन्य गांववासी अपने लोकल और प्राकृतिक उत्पाद जैसे शहद, साबुन, और मिट्टी के बर्तन बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। यह पहल गांव के लोगों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि आत्मनिर्भरता का एक मजबूत उदाहरण भी पेश कर रही है।

पंकज और अमृता का यह प्रयास न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक मिसाल बन गया है। उन्होंने दिखाया कि जब हम दूसरों की भलाई के लिए काम करते हैं, तो हमारे अपने सपने भी साकार होते हैं। आज, अवाटा फार्म केवल एक पर्यटक स्थल नहीं है; यह गांव के लोगों के लिए आर्थिक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है।। अब वे अपने पारंपरिक शिल्पकारी और प्राकृतिक उत्पादों के जरिए अपनी आजीविका चला रहे हैं। इसके साथ ही, गांव की महिलाएं और युवा भी नए कौशल सीख रहे हैं, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान में मदद मिल रही है।

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

अवाटा फार्म न केवल एक पर्यटक स्थल बन चुका है, बल्कि यह गांव के लिए आर्थिक स्थिरता का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। यह फार्म पर्यटकों को गांव के जीवन को नजदीक से देखने, गांववासियों के साथ बातचीत करने, और उनके स्थानीय उत्पादों का आनंद लेने का मौका देता है। यहां का प्राकृतिक और शांत माहौल पर्यटकों को शहर की भागदौड़ से दूर एक सुकून भरी जिंदगी का अनुभव कराता है।

गांववासियों की खुशी

अब गांव के लोग आत्मनिर्भर बन गए हैं। उन्होंने अपने पारंपरिक शिल्पकारी को फिर से जीवित किया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। पंकज और अमृता के प्रयासों ने गांव के युवाओं और महिलाओं को भी नए कौशल सीखने का अवसर दिया है। यह केवल काम की बात नहीं है; यह उनके जीवन में खुशियों और आशाओं का संचार करने की बात है।

पंकज और अमृता का यह प्रयास ग्रामीण विकास के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है। उन्होंने न केवल अपने व्यक्तिगत सपनों को साकार किया, बल्कि गांव के लोगों के जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। उनका यह प्रयास दर्शाता है कि शहर छोड़कर गांव में स्थायी विकास और सामुदायिक भलाई के लिए काम करने से कितने बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। यह फार्महाउस और इसके आस-पास का विकास इस बात का सबूत है कि अगर नीयत साफ हो और मेहनत की जाए, तो सपने हकीकत में बदले जा सकते हैं।

 

पंकज और अमृता का यह फार्महाउस आज उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो सामाजिक बदलाव लाने का सपना देखते हैं। उनका यह सफर न केवल उनके खुद के लिए, बल्कि अवाटा गांव के लिए भी एक नई शुरुआत साबित हुआ है। उन्होंने यह दिखा दिया कि अगर सामुदायिक विकास और व्यक्तिगत समृद्धि को साथ लेकर चलें, तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक और सामाजिक स्थिरता लाना संभव है।

 Credit : THE BETTER INDIA

 



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